क्यों कहा जाता है अमावस्या, ये कितने प्रकार की होती है,

भारतीय संस्कृति में कई प्रकार के तीज त्योहार और पर्व आते हैं. हिन्दू संस्कृति त्योहारों से समृद्ध है. हिन्दू धर्म में प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर सनातन संस्कृति में पर्वों को निर्धारित किया गया है. हिन्दू पंचांग में ऋतु और तिथि की वैज्ञानिक गणना पर पर्वों का निर्धारण होता है. पंचांग के अनुसार 1 माह में 30 दिन निर्धारित किए गए हैं. इसमें शुक्ल पक्ष में 15 दिन और कृष्ण पक्ष में 15 दिन होते हैं. शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है. हिन्दू धर्म शास्त्रों में चंद्रमा की 16 कलाओं को “अमा” कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार चंद्र मण्डल की “अमा” कला में 16 कलाओं की शक्ति शामिल हैं.

ये कितने प्रकार की होती है,

सोमवती अमावस्या: सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं. यह व्रत संतान सुख के लिए और सौभाग्यवती दांपत्य जीवन की कामना करती हैं।

भौमवती अमावस्या: भौम यानी की मंगल. मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता हैं. इस दिन व्रत रखने से अपार कर्ज का संकट समाप्त होता हैभौमवती अमावस्या को भूमि के देवता भौमा की पूजा करने के लिए समर्पित किया जाता है। यह अमावस्या विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाई जाती है।

मौनी अमावस्या: यह अमावस्या हिंदू महीने माघ में आती है मौनी अमावस्या के दिन विशेष रूप से स्नान, जप, तप और मौन व्रत जैसी तपस्या के आयोजन किए जाते हैं। यह अमावस्या संस्कृति और धर्म के अनुसार महत्वपूर्ण मानी जाती है।

शनि अमावस्या: शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं शनि अमावस्या पर शनि देवता की पूजा और उपासना की जाती है। यह दिन शनि देवता के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है।

महालय अमावस्या: महालय अमावस्या एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है जो भारतीय हिंदू धर्म में मनाया जाता है। यह त्योहार श्राद्ध पक्ष (पितृ पक्ष) के अंत में आता है और पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए अर्चना का एक महत्वपूर्ण दिन है। महालय अमावस्या अपने पितृ अथवा नवग्रहों (नौ ग्रहों) के श्राद्ध करने के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन लोग अपने वृद्ध पितृगणों और पूर्वजों के आत्माओं की मुक्ति की कामना करते हैं और उन्हें श्राद्ध का भोजन और दान करते हैं। इस अवसर पर लोग गंगा नदी, यमुना नदी और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और श्राद्ध पक्ष के दौरान पुण्य कार्यों को पूरा करते हैं। इस दिन पितृगणों की आत्माओं के लिए तिल, गहुँ, चावल, घी, गुड़, फूल, और अन्य भोज्य पदार्थ और धर्मिक वस्त्र दान किए जाते हैं।

हरियाली अमावस्या: श्रावण माह में हरियाली अमावस्या आती है. यह अमावस्या हरियाली और प्रकृति की महत्वता को दर्शाने के लिए मनाई जाती है।

दिवाली अमावस्या: दिवाली के दिन की अमावस्या को दिवाली अमावस्या कहते हैं। यह अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष महत्वपूर्ण होती है और इसे दिवाली के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

कुशग्रहणी अमावस्या: कुशग्रहणी अमावस्या या सूर्य ग्रहणी अमावस्या एक विशेष अमावस्या होती है जिसमें सूर्य ग्रहण होता है। इस दिन कुशग्रहणी का समय रहता है और विशेष धार्मिक कार्यों का पालन किया जाता है।

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